भारत के गावों में खेतों में बने चक-रोड होंगे गावों के पॉवरहाउस - आवश्यकता से ४ गुना अधिक बिजली बनाकर उसकी बिक्री से गावों का विकास संभव- मोदी का एक और फंडा
भारत को विकसित बनाने के लिए मोदी के उपायों का जबाव नहीं है. यदि मोदी के फंडो को वास्तव में लागू किया गया तो गाव के लोग बिजली बेचकर गाव का विकास करेंगे. इसके लिए सोलर पैनलो से सोलर बिजली बनाकर सरकार को बेचकर पैसा कमाया जायेगा.
लेकिन भारत में बिकने वाले सोलर पैनल ४ गुना अधिक महगे है, इसके लिए सरकार को प्रभावी और सस्ते सोलर पैनल बाज़ार में लाना होगा. भारत की कुल सोलर पैनल की आवश्यकता की भरपाई के लिए भारत में १०० सोलर पैनल उत्पादन इकाईया लगानी होगी जो २० रुपये प्रति वाट के हिसाब से बाज़ार में उपलब्ध हो. चीन की सरकार २५ रुपये प्रति वाट के हिसाब से बेतहाशा सोलर पैनलो का उत्पादन कर रही है जब की भारत की सरकार शांत बैठी है.
सरकार गावो को सब्सिडी देकर सोलर पैनल लगाने के लिए उत्प्रेरित करे और उपयोग से अधिक बनी बिजली को खरीदने की व्यवस्था करे. इसके लिए सरकार को वास्तव में बहु ईमानदार होना होगा..कम से कम उतना जितना मोदी स्वयं हैं.
भारत में दिन में बहुत बिजली बनाई जा सकती है जिससे की दिन में फैक्ट्री में काम करने बाद लोग रात में अपने घर पर बच्चो के साथ आराम कर पाए और रात में इन्वर्टर या कोयले की बिजली का उपयोग कर पाए. यह व्यवस्था भारत को "विकसित भारत " बनाने की ओर ले जायेगी लेकिन इसे असली जमा पहनने के लिए कम से कम ३ साल चाहिए.
भारत में सोलर पैनल बनाने की तकनीक, आदमी, उसमे प्रयोग होने वाले सामान और धातु बहुत मात्रा में उपलब्ध है सिर्फ एक विवेक शील भारत माता के लाल को भारत की गद्दी पर बैठने की देर भर है,
विकसित भारत को चाहिए ५ लाख मेगावाट बिजली जिसमे अकेले ४ लाख मेगावाट बिजली सिर्फ सोलर पैनलो से बनाई जा सकती है बाकि सबको मालूम है हम दुनिया के सबसे बड़े "थोरियम" भण्डार के मालिक हैं.
लेकिन कांग्रेस ने हमें दरिद्र बना दिया है.
अब एक ही विकल्प- सिर्फ मोदी
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