कांग्रेस की आभाव
नीति : नौकरी वाले की वेतन बढोत्तरी और बेरोजगार को नौकरी नहीं – विदेशी
कंपनियों के 3 गुने महगे उत्पादों के लिए उपभोक्ता तैयार करने की गहरी
साजिश....
अंग्रेजो की नीति थे की
आभाव पैदा करो और लोगो का दोहन करो...कम लोगो नौकरी देकर उन्हें ज्यादा लाभ
देकर नौकरी से चिपकाकर गुलाम बनाये रखिये जिससे वे लाभ पाते रहने के लिए
अंग्रेजो के लिए अपने ही भाइयो की हत्या करने से न हिचकिचाएं..
ठीक
यही नीति सरकार 65 सालो से पनाए हुए है. भारत में 20 करोड सक्षम युवा
पूर्णकालिक बेरोजगार है जो 8000 से 15000 की भी नौकरी करने के लिए लालायित
है लेकिन अंग्रेजो की नीति पर चलते हुए पहले ही नौकरी कर रहे लोगो और लाभ-
और लाभ देते जा रहे है और उनकी श्रेष्ठता के हिसाब से काम भी नहीं हो रहा
है.
हफ्ते
में 6 क्लास लेने वाले अध्यापक लोगो को 65000/- से 95000/- तक की वेतन
दिया जा रहा है, यही हाल हर जगह है और उन्हें बार वेतन वृद्धि भी दी जा
रही है, हाल में केंद्र के 7000 करोड सालाना वृद्धि से 10000 हजार रुपये
महीने वाली 583000, (7000x10000000/ (12 months x 10,000/-PM) = 583333
jobs यानी 5,83,333 नयी नौकरिया दी जा सकती थे और बुजुर्ग लोगो के सिर पर
काम का भार कम किया जा सकता था और जनता के काम में आसानी और तेजी आती
लेकिन ....
.....इस
हरामखोरी के पीछे एक और दवाब विदेशियों की तरफ से है की समाज में एक ऐसा
पैसे वाला तबका पैदा किया जाना चाहिए जो विदेशी कंपनियों का माल तीन गुने
दाम में खरीदने में न हिचकिचाए....10000/- और 15000/- वाले तो अपना पेट ही
पालने में लगे रहेंगे, 95000/ की टीवी, 10 लाख की कार, 55000/- की मोबाइल,
8500/- का जूता, माल में शाप्पिंग, और अन्य विदेशी फर्नीचर कौन खरीदेगा.
सरकार सबको नौकरी देकर नौकरी पेशा वालो को आमजन के श्रेणी में नहीं रखना
चाहती है..
.सरकार
को मालूम है धुप में जलने वाले किसान की औसत् आय मात्र 2050/- महीना है जो
चप्पल भी दिल्ली मेड प्लास्टिक का ही खरीदेगा.......तो इटालियन मार्बल
लगाने का दम रखने वालो की एक जमात इन्ही की कीमत पर पैदा करना होगा......और
खूब बढ़िया तनख्वाह देकर इनको जन सेवक नहीं जनता के साहब बना दिया जाये
जिससे इनसे किसी भी समय जन विरोधी काम कराये जा सके. ज्ञात हो कांग्रेस के
विदेशी दोस्त भारत में सबसे पुरानी तकनीक 3 गुना दाम में बेचते
हैं,,....अभी अभी हाल में एफ डी आई की अनुमति के पीछे यही विदेशी ईसाई
दोस्त है जो भारतीय गुलामो का तेल निकालने की तैयारी कर रहे है....
सरकार
का यदि नौकरी देने का मंशा होती तो हमारे मेधावी वैज्ञानिको की टीम को
अनुसंधान में लगा कर हर चीज भारत में ही बनाकर हर हाथ को काम दे सकती थी
लेकिन ये ठहरे नेहरू की औलाद जिन्हें सिर्फ विदेशी पसंद हैं... किराना में
एफ डी आई से 4.4 करोड लोग और पैदल होने वाले हैं जब की 5000 हजार विदेशी
कम्पनिय पहले से ही 26 लाख करोड का बिजिनेस करके करीब 16 लाख करोड का
मुनाफा हर साल विदेश ले जा रही है तो भारत के लोगो को रोजगार कहा से
मिलेगा....और रुपये का अवमूल्यन हो रहा है...खुदरा किराना में एफ डी आई आने
से 23 लाख करोड रूपया और बाहर जायेगा तब रुपया कितना निचे जायेगा, क्या
नीच कांग्रेसियों को इसका अंदाजा भी है?
सरकार
को संतुलित वेतन देकर उसी कोष 30% अतिरक्त लोगो को नौकरी दी जा सकती है और
सेवानिवृत्त की उम्र 62-60 से घटाकर 58 साल करके 14% और लोगो नौकरी दी जा
सकती है.
लेकिन यह सोचेगा कौन??? सरकारे तो सेवक नहीं साहब पैदा करने में लगी हैं..????
जय भारत
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