गो -हत्या का अर्थशाश्त्र : इसे बंद करना इतना आसान नहीं होगा जब एक पशु कटने से 34000 रुपये का मुनाफा मिलने लगे--
भारत में गाय का मांस
120/- रुपये किलो खुलेआम बिक रहा है और एक गाय-भैंस-बैल को कटने पर 350
किलो मांस निकलता है. चमड़े और हड्डियों की अलग से कीमत मिलती है. जो पशु
औसतन 8000- 9000 में गाव मिल जा रहे हैं और सुखा वाले प्रदेशो में तो यह
3000/- में ही मिल जा रहे हैं.
पशु की कीमत 8000/-
उसे काटने से मिला मांस 350 किलो
भारत में उस मांस का दाम = 350 x 120/- = 42,000/- रुपये
चमड़े का दाम = 1000/-
विदेशो में निर्यात करने पर यही मांस 3 से 4 गुना दाम में बिकता है और यह निर्भर करता है की आप किस देश में भेज रहे हैं.
किसान को मिला सिर्फ 9000/- रुपया
और गो-हत्या शाळा चलाने वाले को मिला 43000 - 9000 = 34,000/- रुपये
भारत में एक एक गो-वधशाला में 10000 से 15000 पशु रोज कट रहे हैं औसत 12000 पशु रोज का मानिए तो --
यानी एक मालिक को एक दिन में 34000/- x 12000 = 40,80,00,000/- (चालीस करोड़ रुपये रोज का मुनाफा)
यदि साल में 320 दिन यह काम चले तो 40 करोड़ x 320 = 12800 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा सालाना,
तो
सोचिये गाय का कत्लखाना चलाने वाला इसे क्यों बंद करेगा चाहे वह हिन्दू
ही क्यों न हो. कपिल सिब्बल की पत्नी का भी यही व्यापार है यह मुनाफा तब है
जब मांस भारत में बेचा जाए परन्तु निर्यात करने पर यह मुनाफा तीन गुना हो
जाता है यानि हर कत्लखाने का मालिक हर साल 12800 x 3 = 38,400 करोड़ रुपये
का शुद्ध मुनाफ़ा हर साल.
(यह गणना आप अपने हिसाब से स्वयम भी करे शायद कुछ अंतर आये कीमत में )
अब आप 250/- रुपये दिहाड़ी कमाने वाले इन ख़रबपतियों का क्या कर पायेंगे..इसीलिए इस काम को सिर्फ सरकार ही रोक सकती है
यानी गाय को कटने से रोकने के लिए आपको सरकार ही बदलनी पड़ेगी.
और इस काम के लिए "नरेन्द्र मोदी" से अच्छा विकल्प भला कौन होगा जिसे बाबा और स्वामी का समर्थन मिल रहा हो.
जय भारत
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